2017 विधानसभा चुनाव
सभी राजनीतिक दल ने महिला मतदाताओं को आकर्षित करने की रणनीति बनाई थी. कोई भी पार्टी या प्रत्याशी महिला वोट बैंक की शक्ति को नजरंदाज नहीं करना चाहता. लेकिन वोट प्रतिशत में आगे होने के बावजूद प्रदेश की महिलाएं प्रतिनिधित्व में पिछड़ रही हैं. 33 प्रतिशत आरक्षण का समर्थन करने वाले बड़े राजनीतिक दल भी महिला प्रत्याशियों को टिकट देने से बचते हैं. हिमाचल प्रदेश में अब तक महिलाओं की नेतृत्व और मतदान में भूमिका काफी कम है. महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से अधिक है, लेकिन विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है. पिछले चार विधानसभा चुनावों के आंकड़े ही देखें तो महिलाओं ने पुरुषों से अधिक वोट प्रतिशत प्राप्त किया है.
2012 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने 17 लाख 4 हजार 112 वोट डाले, जबकि पुरुषों ने 16 लाख 83 हजार 278 वोट डाले थे। उससे पहले 2007 में 16–79 लाख पुरुषों और 15–33 लाख महिलाओं ने मतदान किया, 2003 में 15.22 लाख पुरुषों और 15.33 लाख महिलाओं, 1999 में 12.83 लाख पुरुषों और 13.01 लाख महिलाओं ने मतदान किया था. महिला प्रत्याशियों की जीत का प्रतिशत इन सभी विधानसभा चुनावों में दहाई भी नहीं छू पाया. यही नहीं, भाजपा और कांग्रेस के महिला प्रत्याशियों के अलावा कोई भी प्रत्याशी 50 प्रतिशत से अधिक महिला मतदाताओं वाले चुनावों में दस प्रतिशत से अधिक वोट नहीं पा सका. देश के प्रमुख राजनीतिक दल, संसद से लेकर विधानसभाओं तक, महिलाओं को ३३ प्रतिशत आरक्षण देने के पक्ष में हैं. भाषण भी आधी आबादी को भ्रष्ट नेतृत्व देने पर होते हैं. लेकिन टिकट देने से पार्टियाँ खुश हो जाती हैं. 2012 के चुनाव में भाजपा ने 10% महिला प्रत्याशियों को चुना था. इनमें से सिर्फ एक ने जीत हासिल की. कांग्रेस ने चार महिला प्रत्याशियों में से दो को चुना. महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष बहुजन समाज पार्टी ने 66 में से सिर्फ 3 विधानसभा सीटों पर महिलाओं को टिकट दिया था.
प्रदेश के चुनावी इतिहास को देखें, 1998 का एकमात्र चुनाव ही उत्तरी 25 महिला प्रत्याशियों में से 6 को विधानसभा में लाया गया था. विधानसभा में इतनी महिला विधायकों की उपस्थिति का यह पहला मौका था. 2007 में भी 25 में से 5 प्रत्याशी जीते थे. इसके अलावा, अन्य सभी चुनावों में पाँच महिला विधायकों की संख्या भी नहीं मिली. महिलाओं का राजनीतिक नेतृत्व में कम हिस्सेदारी होने के बावजूद, प्रदेश की महिलाएं ही सरकार को चुनती हैं. प्रदेश के पिछले चुनावों के आंकड़े भी बताते हैं कि महिला वोटरों की हिस्सेदारी सरकार बनाने में महत्वपूर्ण रही है. मतदाता सूची में पुरुषों की संख्या हमेशा महिलाओं से अधिक होती है, लेकिन मतदान के दिन घर से महिलाएं ही अधिक निकलती हैं. 2012 के विधानसभा चुनावों में प्रदेश में 45 लाख 33 हजार 713 पुरुष मतदाता थे. पुरुष मतदाता 23 लाख 22 हजार 266 थे, जबकि महिला मतदाता 22 लाख 11 हजार 447 थे. मतदान समाप्त होने पर, वोट डालने के लिए सिर्फ 16 लाख 46 हजार 899 पुरुष मतदाता पहुँचे. 17 लाख 02 हजार 953 महिलाएं मतदान करने वाली थीं. 2007 के विधानसभा चुनावों में भी 15 लाख 97 हजार 473 पुरुषों (कुल 45 लाख 44 हजार 166) ने मतदान किया. 2007 में भी महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों की अपेक्षा लगभग एक लाख अधिक रही. 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने एक नवीनतम मतदाता सूची जारी की थी. राज्य के कुल ४९.५० लाख मतदाताओं में २४.९० लाख पुरुष और २४.०७ लाख महिलाएं थीं. योजना ने पुरुषों, खासकर पहली व दूसरी बार मतदान करने वाले युवाओं को वोट देने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि इस बार महिलाओं और पुरुषों के मतदाताओं में अंतर बहुत कम था.
2017 के हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने पिछले 10 चुनावों का रिकार्ड तोड़ दिया. हिमाचल प्रदेश में इस बार मतदान का 74.64 प्रतिशत हुआ, यह चुनाव आयोग के नवीनतम आंकड़े बताते हैं. सिरमौर में 81-5 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि हमीरपुर में 70.98 प्रतिशत मतदान हुआ. यह प्रदेश के 7525 पोलिंग बूथों में हुआ. इनमें आदर्श पोलिंग बूच 231 शामिल था. वास्तव में, पाँच बजे के बाद भी राज्य के 435 मतदान केंद्रों पर मतदान जारी था. नौ नवंबर 2017 को हुए मतदान के अंतिम आंकड़ों के अनुसार चंबा में 73.21 प्रतिशत, हमीरपुर में 70.19 प्रतिशत, शिमला में 72.68 प्रतिशत, सोलन में 77.44 प्रतिशत, मंडी में 75.21 प्रतिशत, कांगड़ा में 72.47 प्रतिशत, कुल्लू में 77.87 प्रतिशत, सिरमौर में 81.05 प्रतिशत, लाहुल-स्पीति में 73.04 प्रतिशत, ऊना में 76.45 प्रतिशत, बिलासपुर में 75.58 प्रतिशत और किन्नौर में 75.09 मतदान करने के लिए कुल 11283 बैलेट यूनिट प्रयोग की गईं. इसके अलावा, 9089 नियंत्रण इकाइयों और 11050 वीवीपैट इकाइयों थीं, जिनमें मतदाता अपने द्वारा डाले गए वोट को देख सकते थे.
18 दिसंबर को 8 नवंबर 2017 को हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा हुई, जिसमें भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिला था। 27 दिसंबर 2017 को श्री जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. केंद्रीय सरकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति शपथ समारोह में शिमला के सार्वजनिक स्थल ‘दी रिज’ में उपस्थित थे. प्रदेश राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शपथ दी।
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