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“प्रजा मण्डल”

“प्रजा मण्डल” अन्य रियासतों में भी जन संस्थाएं हैं. इन्हीं संस्थाओं ने आगे चलकर प्रजा मण्डल बन गए. देश के कांग्रेस नेताओं ने प्रजामण्डल आंदोलन का पूरा समर्थन किया, जिसका उद्देश्य था राज्यों में जनता की प्रतिनिधि सरकारें बनाकर विदेशी शासन को खत्म करना. आल इंडिया स्टेट पीपल्स कान्फ्रेंस आल इण्डिया स्टेट पीपल्स कान्फ्रेंस का […]

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“शिमला हिल स्टेट्स, जनता द्वारा विद्रोह”

“शिमला हिल स्टेट्स” “शिमला हिल स्टेट्स” के दूर-दराज क्षेत्र के रामपुर बुशैहर के राजा शमशेर सिंह ने भी अंग्रेजों को मार डालने की योजना बनाई, लेकिन उसका भेद खुल गया और वह सफल नहीं हो सका. स्थिति को देखते हुए, शमशेर सिंह यह खतरा नहीं मोल ले सका. स्वतंत्रता संग्राम में राजा शमशेर सिंह ने

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“हिमाचल प्रदेश में स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास”

“हिमाचल प्रदेश में स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास” हिमाचल प्रदेश की पहाड़ी रियासतों में स्वतंत्रता संग्राम का असर पूरे प्रदेश में हुआ था. लेकिन उसकी धार कम थी। अब हिमाचल प्रदेश का पूरा हिस्सा सीधे अंग्रेजों के नियंत्रण में था और ‘शिमला हिल स्टेट्स’ के राजा आपस में लड़ नहीं सकते थे क्योंकि वे सभी अंग्रेजों

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“अंग्रेजो का आगमन, हिमाचल प्रदेश में ब्रिटिश छावनियाँ व 1857 ई. से पूर्व की घटना “

“अंग्रेजो का आगमन:” इस समय तक अंग्रेजों ने देश का शेष हिस्सा कब्जा कर लिया था. 1803 में, गोरखों ने हांदूर (नालागढ़) पर कब्जा करके वहाँ के राजा रामशरण सिंह को होशियारपुर भगा दिया. 1814 ई. को नालागढ़ क्षेत्र में अंग्रेज सेनापति डी. आक्टरलोनी ने मलौण और रामशहर में लड़ाई करके गोरखों को हराकर वहां

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“मुसलमान काल, मुगल युग, राजा संसार चन्द व गोरखों का प्रवेश”

“मुसलमान काल” महमूद गजनवी ने फिर भारत पर हमला किया. उसने हिमाचल प्रदेश में केवल नगरकोट या कांगड़ा किले पर हमला किया था. यह मुस्लिम इतिहासकार उतबी की पुस्तक ‘तारीख-ए-यामिनी’ में विस्तृत रूप से बताया गया है. 1009 ई. में महमूद गजनवी ने आक्रमण किया और फरिश्ता ने कहा कि उसने 700 मन सोना, 2000

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“जनपदो का इतिहास-2”

राजपूत युग: आठवीं शताब्दी से बारहवीं सदी तक भारत के इतिहास में राजपूत युग माना जाता है, जब हर्ष के शासन का अंत हुआ और देश छोटे-छोटे राज्यों में बंट गया, जिससे राजपूतों के नाम से नई शासन शक्ति भारत के मानचित्र पर उभरी. कई राजपूतों ने अपने राज्यों से निकाल दिए गए या पहाड़ों

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“जनपदो का इतिहास-1”

त्रिगर्त: उस समय यह क्षेत्र सतलुज और रावी नदियों के मध्य में फैला हुआ था और इसका मुख्य स्थान शायद मुल्तान था, लेकिन आज यह क्षेत्र मैदानों तक फैला हुआ है और इसे जालंधर और पहाड़ों में त्रिगर्त कहते थे. ईसा पूर्व दूसरी सदी में तीन नदियों द्वारा सिंचित क्षेत्र (रावी, व्यास और सतलुज) का

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“हिमाचल का इतिहास”

“हिमाचल का इतिहास” प्रसिद्ध जर्मन विद्वान बैरल ने कहा है कि हिमालय और मानव का जन्म एक साथ हुआ है। अतः हिमालय का इतिहास, जिसका हिमाचल प्रदेश एक अंग है, उतना ही पुराना है, जितना कि मानव जाति का। भारत के अन्य भागों की भांति हिमाचल प्रदेश के इतिहास के बारे में भी लिखित सामग्री

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“हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध सेतु (पुल)”

हिमाचल प्रदेश में कई नदियों पर महत्वपूर्ण पुल बनाए गए हैं जो यातायात को आसान बनाते हैं. इनमें से सबसे प्रसिद्ध पुल सतलुज पर हैं: 1. कन्दौर (बिलासपुर हमीरपुर सड़क पर राष्ट्रीय उच्च मार्ग 88): यह पुल बिलासपुर और घुमारवीं को जोड़ता है और बिलासपुर और हमीरपुर को जोड़ता है। इस पुल का निर्माण कार्य

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“हिमाचल प्रदेश में मिट्टी की किस्में”

किसी क्षेत्र की मिट्टी की कि में उसकी समुद्रतल से ऊंचाई, जलवायु और स्थिति के अनुसार बदलती रहती है। हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग ने हिमाचल प्रदेश को मिट्टी की किस्मों की दृष्टि से निम्न पांच खंडों में बांटा है : 1. निम्न पहाड़ी मिट्टी खण्ड : इस खण्ड में मिट्टी की परत अधिक गहरी

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