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“जीवनशैली और रहन-सहन”

जीवनशैली और रहन-सहन कुल मिलाकर, आर्य और अनार्य संस्कृतियों ने हिमाचल प्रदेश में जीवन पर प्रभाव डाला है. मानव जीवन की धारा अज्ञात काल से निरंतर बहती चली आ रही है. इसकी मौलिकता परिवर्तनों के तूफान से नहीं मिट सकती थी. पहाड़ी लोगों का मानस सरलता से भरपूर है. यहाँ के श्वेत पर्वतों और नदियों […]

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“सामाजिक संरचना, जातियां, धर्म व जनजातियां”

सामाजिक संरचना, जातियां, धर्म व जनजातियां सामाजिक व्यवस्था हिमाचल प्रदेश का भौगोलिक स्थान और लोगों का सांस्कृतिक जीवन सुरक्षित रखने का प्रयास देश भर में उसे अलग बनाता है. हमारे धार्मिक ग्रन्थों में स्थानीय जनजातियों का इतिहास बताया गया है. हिमाचल प्रदेश एक गांव है. हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या का लगभग 91.31 प्रतिशत गांवों में

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“विकासात्मक कार्य, पंचायतीय राज संस्थाए”

विकासात्मक कार्य विकासात्मक कार्य: प्रत्येक जिले को विकास खंडों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक खंड को ग्राम सेवक सर्कलों में विभाजित किया गया है, जिससे विकास कार्य को नियंत्रित किया जा सके. विकास खंड का इन्चार्ज खंड विकास अधिकारी होता है, जबकि ग्राम सेवक सर्कलों का इन्चार्ज ग्राम विकास अधिकारी होता है। खंड

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“हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त”

हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त हिमाचल प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था: केन्द्रीय संसद ने 1985 ई. में प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम, 1985 पारित किया, जिसके प्रावधानों के अनुसार, केन्द्रीय सरकारों की मांग पर और संबंधित प्रातों में प्रांतीय प्रशासनिक अधिकरणों को स्थापित किया जा सकता है. संविधान की धारा 323 (अ) के अनुरूप। 1 सितंबर 1986 को हिमाचल प्रदेश

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“प्रशासनिक ढांचा”

प्रशासनिक ढांचा :- मंत्रियों की सहायता के लिए प्रदेश में स्थाई विभाग के कार्य की देखभाल के लिए स्थाई सचिव (Secretary) होते हैं जो प्राय: भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होते हैं। विभागों से स्थाई तौर पर सम्बन्धित होने के कारण ये अधिकारी विभाग मंत्री को विभाग के बारे में सही सूचना देकर नीति-निर्धारण के

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“2017 विधानसभा चुनाव”

2017 विधानसभा चुनाव सभी राजनीतिक दल ने महिला मतदाताओं को आकर्षित करने की रणनीति बनाई थी. कोई भी पार्टी या प्रत्याशी महिला वोट बैंक की शक्ति को नजरंदाज नहीं करना चाहता. लेकिन वोट प्रतिशत में आगे होने के बावजूद प्रदेश की महिलाएं प्रतिनिधित्व में पिछड़ रही हैं. 33 प्रतिशत आरक्षण का समर्थन करने वाले बड़े

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“राज्यपाल,मुख्य मंत्री और मंत्री परिषदराज्यपाल”

राज्यपाल राज्यपाल राज्य का सबसे बड़ा अधिकारी है. संविधान की धारा 153 के तहत भारत का राष्ट्रपति राज्यपालों को नियुक्त करता है. परन्तु संविधान के अनुसार राज्यपाल प्रांत की सरकार चलाने में स्वतंत्र नहीं है. उसे मंत्री परिषद और मुख्यमंत्री की सलाह पर काम करना होगा. नियमित रूप से, राज्यपाल मुख्यमंत्री और मंत्री परिषद् की

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“संवैधानिक व प्रशासनिक इतिहास”

“संवैधानिक व प्रशासनिक इतिहास” 15 अप्रैल, 1948 को स्थापित होने के बाद हिमाचल प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में जो बदलाव हुए, वे पहले ही बताए गए हैं. इस राज्य के चार जिलों का शासन मुख्यायुक्त को सौंपा गया था. श्री एन. सी. मेहता (ICS) पहले मुख्यमंत्री बने. श्री ई. पैडरल मून (I.C.S.) को उप-मुख्यायुक्त पद

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“हिमाचल में लोकप्रिय जन आंदोलन”

“हिमाचल में लोकप्रिय जन आंदोलन” 9 मार्च, 1846 की संधि ने हिमाचल प्रदेश का अधिकांश भाग सिक्खों से छूटकर अंग्रेजी सरकार के अधीन कर दिया, जिससे पहाड़ी रियासतों पर अंग्रेजों का अधिकार हुआ. अब पहाड़ी रियासतों के राजा अंग्रेजों का संरक्षण और उनके अधीन थे, इसलिए वे आपस में लड़ नहीं सकते थे. अंग्रेजों का

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“अस्थाई हिमाचल सरकार का गठन”

“अस्थाई हिमाचल सरकार का गठन” 26 जनवरी, 1948 को हिमाचल प्रदेश स्टेट्स रीजनल कौंसिल की एक बैठक हुई, जिसमें भविष्य की पहाड़ी राज्य की अस्थाई सरकार के बारे में चर्चा हुई. इस अस्थायी सरकार का प्रधान स्वर्गीय शिवानन्द रमोल (सिरमौर) चुना गया. इसके प्रमुख सदस्यों में बिलासपुर से श्री सदाराम चन्देल, बुशैहर से श्री पद्म

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