गिरिराज न्युज पेपर की प्रमुख सुर्खीयां
जलवायु परिवर्तन: एक बढ़ता खतरा
जलवायु परिवर्तन आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। यह धरती के तापमान में वृद्धि, मौसम में बदलाव, और प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते खतरे के रूप में सामने आ रहा है।
हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात के दुबई मे काप-28 सम्मेलन हुआ। इस सम्मले न का उददेश्य था वातावरण में ग्रीनहाउस गसों की साद्रंता को स्थिर कर पारिस्थितिकी तंत्र को अनुकूल करना ताकि सतत् विकास के लक्ष्यों को पुरा किया जा सके। इस सम्मेलन मं दुनियाभर के 197 देशो ने जलवायु परिवर्तन पर अपनी प्रगति साझा की और भविष्य की रणनीति पर मंथन किया। सबसे पहले तो यह समझते है कि जलवायु परिवर्तन आखिर होता क्या है? सरल शब्दों में कहा जाए तो जब किसी क्षेत्र विशेष के औसत मासैम में परिवर्तन आता है तो उसे जलवायु परिवतर्न कहा जाता है। वैज्ञानिक शोध से निकले आंकड़ों के अनुसार 19वीं सदी के अंत से अब तक पृथ्वी की सतह का औसत तापमान लगभग 1.62 डिग्री फारनहाइट (अर्थात लगभग 0.9 डिग्री सेल्सियस) बढ़ गया है। इसके अतिरिक्त पिछली सदी से अब तक समुद्र के जल स्तर में भी लगभग 8 इचं की बढा़तेरी दर्ज की गई है। 90 के दशक में संयुक्त राष्ट्र ने जलवायु परिवर्तन के खतरों पर विचार-विमर्श और इससे निबटने की रणनीतियों के सृजन और उनके अनुसरण के लिए युनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन आॅन क्लायमेट चेंज की शुरूआत हुई जिसके तहत 154 देशों को पक्षकार बनाया गया (जिसकी संख्या वर्तमान में 197 हो गई है)। इस फ्रमेवर्क के तहत जलवायु परिवतर्न से निपटने के लिए पक्षकार देशों की प्रगति का आकलन करने के लिए सम्मले न किए जाने लग। संयुक्त राष्ट के इन वार्षिक जलवायु सम्मेलनों की शुरूआत 1997 में जापान के क्योटो शहर में हुई और बाद में इसे क्योटो प्रोटोकाल के नाम से जाना गया। वर्ष 2001 में नियमावली बनने के बाद इसे 2005 में लागू किया गया। पहले चरण में वर्ष 2008-12 के मध्य पक्षकार देशों के लिए ग्रीनहाउस गैसों का उत्सजर्न 1990 की तलुना में पाचं प्रतिशत कम करने का लक्ष्य तो वहीं पर थोपे जा रहे है कार्बन डाइआक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के लिए जहा विकासशील देशों पर सख्त समय सीमा रखी गई वहीं विकसित देशों ने अपनी क्षमतानुसार इसे कम नहीं किया। भारत 2030 तक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन 45 प्रतिशत कम करने और कुल बिजली उत्पादन का 50 फीसदी ग्रीन एनर्जी से पूरा करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है 2070 तक भारत ने नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है जिसे चरणबद्ध तरीके से पूरा करने की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है।
इसके मुख्य कारणों में शामिल हैं:
- ग्लोबल वार्मिंग:मानवीय गतिविधियों, जैसे जीवाश्म ईंधन का जलाना, वनों की कटाई, और औद्योगिक प्रदूषण, वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को बढ़ा रहे हैं।
- मौसम में बदलाव:वर्षा में कमी, तूफान, बाढ़, सूखा, और लू जैसी घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है।
- प्राकृतिक आपदाओं का खतरा:समुद्र तल में वृद्धि, हिमनदों का पिघलना, और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ रहा है।
इनके परिणामस्वरूप:
- जैव विविधता पर खतरा:जलवायु परिवर्तन के कारण कई जीव-जंतुओं और पौधों की प्रजातियां विलुप्त होने का खतरा है।
- खाद्य सुरक्षा:जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि उत्पादन में कमी आ सकती है, जिससे खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव:जलवायु परिवर्तन के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, जैसे श्वसन संबंधी बीमारियां, बढ़ सकती हैं।
- आर्थिक प्रभाव:जलवायु परिवर्तन के कारण अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो सकता है।
इस खतरे से निपटने के लिए:
- ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करना:हमें जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना होगा, स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना होगा, और वनों की कटाई को रोकना होगा।
- अनुकूलन:हमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल होने के लिए भी तैयार रहना होगा, जैसे कि तटीय क्षेत्रों में बाढ़ से बचाव के लिए बांधों का निर्माण करना।
- जागरूकता फैलाना:हमें जलवायु परिवर्तन के बारे में लोगों को जागरूक करना होगा और उन्हें इसके खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करना होगा।
यह समय है कि हम सब मिलकर जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए उचित कदम उठाएं।
हरित राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारा परियोजना
हरित राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारा परियोजना (जीएनएचसीपी) 2016 में शुरू की गई थी। इस परियोजना मे राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश से गुजरने वाले लगभग 781 किलोमीटर के विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों का उन्नयन शामिल है। इसे हरित राजमार्ग नीति के तहत आरम्भ किया गया था। पर्यावरण-अनुकूल औ हरित राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे वृक्षारोपण के लिए एक नीतिगत ढांचा विकसित करना, क्योंकि पेड़ों और झाड़िय को वायु प्रदूषकों के अवशोषण का एक प्राकृतिक घटक माना जाता है, वाहनों की संख्या में वृद्धि के कारण लगात बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव को कम करना, तटबंध के ढलानों पर मिट्टी के कटाव को रोकना, आदि परियोज के उद्देश्यों में शामिल हैं। यह परियोजना विश्व बैंक की सहायता से चलाई जा रही है।
गिरिराज से संबंधित महत्वपुर्ण प्रश्न
1. हिमाचल प्रदेश का प्रमुख लोक नृत्य कौन सा है ?
उतर- नाटी
Detail – नाटी, हिमाचल के मध्य क्षेत्रों का प्रसिद्ध सामूहिक नृत्य है, जिसे शिमला क्षेत्र में “गी” या “माला” भी कहा जाता है। नाटी में स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े सभी भाग ले सकते हैं। सभी एक-दूसरे का हाथ पकड़कर पैर आगे पीछे रखते हए और गाने की लय के अनुसार शरीर के अन्य अंगों को हिलाते हुए नाचते रहते हैं। बीच में आग जलाई जाती है और उसके चारों ओर नृत्य चलता रहता है। क्षेत्र और अभिनय के लिहाज से नाटी के लुड्डी, ढीली-नाटी, फटी-नाटी, देहरी-नाटी, बुशैहरी-नाटी, बाहड़-नाटी। कड्थी-नाटी, लाहौली, बखैली, खरैत, गड्भी, दयोखल और जोण-नाटी आदि प्रमुख नाटी हैं।
2. चोबिया यात्रा मार्ग किसके बीच स्थित है ?
उतर- लाहौल-भरमौर
Detail – चोबिया दर्रा पीर-पंजाल पर्वत श्रृंखला का दूसरा सबसे ऊंचा दर्रा है, चोबिया पास ट्रेक भरमौर को केलोंग से जोड़ता है। चोबिया दर्रा पीर पंजाल रेंज की 2 छोटी चोटियों टेंट पीक (6133 मीटर) और बराकंडा पीक (5877) के बीच स्थित है।
3. ‘झांकी’ हिमाचल के किस जिले का लोकनृत्य है ?
उत्तर- चम्बा
4. हिमाचल का सबसे बड़ा औद्योगिक शहर कौन सा है?
उत्तर- बद्दी
5. शिमला से भारत छोड़ो आन्दोलन का नेतृत्व किसने किया था ?
उत्तर- राजकुमारी अमृत कौर
6. चोबिया यात्रा मार्ग किसके बीच स्थित है ?
उत्तर- लाहौल-भरमौर
7. पार्वती किस नदी की गौण नदी है ?
उत्तर- ब्यास
8. शोणितपुर किस स्थान का प्राचीन नाम है ?
उत्तर- सराहन
9. केंद्रीय चावल अनुसंधान केन्द्र कहां स्थित है ?
उत्तर- कटक
10. एशिया का सबसे छोटा देश कौन सा है ?
उत्तर- मालदीव
11. मंगल ग्रह का लाल रंग किस पदार्थ के कारण है ?
उत्तर- आयरन ऑक्साइड
12. ‘दुनिया के मजदूरों एक हो’ का नारा किसने दिया था ?
उत्तर- कार्ल मार्क्स
13. ‘बोनी’ किस फसल की प्रजाति है ?
उत्तर- टमाटर
14. आस्ट्रेलियन ओपन (टेनिस स्पर्धा) की शुरूआत कब हुई थी ?
उत्तर- वर्ष 1905
15. विश्व ब्रेल दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर- 4 जनवरी
16. सियाचिन में तैनात होने वाली प्रथम महिला मेडिकल ऑफिसर का क्या नाम है ?
उत्तर- गीतिका कौल
17. भारत के प्रथम सूर्य मिशन को क्या नाम दिया गया है ?
उत्तर- अदित्य एल-1
18. ग्रेगोरियन कैलेण्डर प्रथम बार कब पेश किया गया था ?
उत्तर- वर्ष 1582