अयोध्या राम मंदिर

राम मंदिर की कहानी, उद्घाटन, वास्तुकारराम मंदिर शिलान्यास समारोह, राम मंदिर का डिजाइन, मंदिर का आकारनिर्माण लागत, विशेषताओं इत्यादि के बारे में जानें।

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अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन

श्रीराम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। प्राचीन महाकाव्य वाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग में अयोध्या में हुआ था। अयोध्या में जहां पर उनका जन्म हुआ था उस जगह को राम जन्मभूमि के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में मुगल शासकों ने राम जन्मभूमि पर एक मस्जिद का निर्माण करवाया था।

अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों संपन्न हुआ। समारोह के दौरान, राम लला की मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया। अभिषेक समारोह दोपहर 12.20 बजे शुभ नक्षत्र में शुरू हुआ और दोपहर 1 बजे तक पूरा हो गया। समारोह के दौरान RSS प्रमुख मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी राम लला की पूजा-अर्चना की।

राम मंदिर के वास्तुकार

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सबसे पहले राम मदिर की डिजाइन साल 1988 में अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार के द्वारा तैयार की गई थी। सोमपुरा परिवार के लोग पिछले 15 पीढ़ियों से मंदिरों की डिजाइन बना रहे हैं और अब तक 100 से ज्यादा मंदिरों की डिजाइन बना चुके हैं। साल 2020 में जब राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो मंदिर के पुराने डिजाइन में कुछ बदलाव करके उसे स्वीकार कर लिया गया और उसी के अनुसार मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। राम मंदिर  235 फीट चौड़ा, 360 फीट लंबा और 161 फीट ऊंचा होगा। यह मंदिर नागर शैली में बनाया जा रहा है। इस मंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा और उनके दो बेटे निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा हैं।

वास्तुकारों ने मंदिर परिसर में प्रार्थना कक्ष, राम कथा कुंज, वैदिक पाठशाला, संत निवास, यति निवास, संग्रहालय और कैफेटेरिया को डिजाइन किया है। मंदिर के साथ इनका निर्माण भी किया जा रहा है। अयोध्या का राम मंदिर बेहद विशाल होगा। कहा जा रह है कि जब यह मंदिर पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा तो यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होगा।

अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन

श्रीराम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। प्राचीन महाकाव्य वाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग में अयोध्या में हुआ था। अयोध्या में जहां पर उनका जन्म हुआ था उस जगह को राम जन्मभूमि के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में मुगल शासकों ने राम जन्मभूमि पर एक मस्जिद का निर्माण करवाया था।

अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों संपन्न हुआ। समारोह के दौरान, राम लला की मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया। अभिषेक समारोह दोपहर 12.20 बजे शुभ नक्षत्र में शुरू हुआ और दोपहर 1 बजे तक पूरा हो गया। समारोह के दौरान RSS प्रमुख मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी राम लला की पूजा-अर्चना की।

राम मंदिर शिलान्यास समारोह

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को दोपहर 12 बजे किया। इस दौरान आधारशिला के रूप में पीएम नरेंद्र मोदी ने चांदी की ईंट की स्थापना की। इसके पहले श्रीराम जन्मभूमि पर पंडितों ने तीन दिवसीय वैदिक अनुष्ठान किए। इस दौरान भगवान राम की पूजा की गई और मंदिर के शिलान्यास में सभी प्रमुख देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया। भारत के कई धार्मिक स्थानों से मिट्टी और पवित्र पानी लाया गया। इस दौरान पाकिस्तान की शारदा पीठ से भी मिट्टी लाई गई। साथ ही गंगा, सिन्धु, यमुना, सरस्वती और कावेरी नदी का जल अर्पित किया गया। शिलान्यास समारोह के उत्सव में अयोध्या में मंदिरों में 7 हजार से ज्यादा दिए जलाए गए।

अयोध्या में भगवान राम का मंदिर 2.7 एकड़ भूमि में बन रहा है। जिसमें 54,700 वर्गफुट भूमि शामिल है। राम का मंदिर का पूरा परिसर लगभग 70 एकड़ भूमि में तैयार हो रहा है। राम मंदिर का निर्माण कार्य श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के देखरेख में लार्सन एंड टूब्रो कंपनी कर रही है। इस मंदिर का निर्माण राजस्थान के बंसी पर्वत के बलुआ पत्थरों से हो रहा है।

राम मंदिर का डिजाइन

मंदिर का डिजाइन चंद्रकांत सोमपुरा (Chandrakant sompura) ने अपने बेटों के साथ बनाई है। चंद्रकांत सोमपुरा को इस मंदिर का डिजाइन बनाने के लिए साल 1992 में नियुक्त किया गया था। चंद्रकांत सोमपुरा ने बताया है कि नागर शैली में बनाए जा रहे इस मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व की ओर बनाया जाएगा जो गोपुरम शैली में होगा। यह द्वार दक्षिण के मंदिरों का प्रतिनिधित्व करेगा। मंदिर की दीवारों पर भगवान राम के जीवन को दर्शाने वाली कलाकृतियां प्रदर्शित होंगी।

मंदिर का आकार

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मंदिर का आकार मौजूदा ढांचे से तीन गुना बड़ा होगा। गर्भगृह का निर्माण मकराना मार्बल से किया जा रहा है। मंदिर 161 फीट ऊंचा होगा जिसमें पांच गुंबद और एक टावर होगा। मंदिर को तीन मंजिला बनाया जा रहा है। गर्भ गृह को ऐसे डिजाइन किया गया है ताकि सूर्य की किरणें सीधे रामलला पर पड़ें। रामलला भगवान श्रीराम के शिशु अवतार हैं। मंदिर में गर्भ गृह की तरह गृह मंडप पूरी तरह से ढंका होगा, जबकि कीर्तन मंडप, नृत्य मंडप, रंग मंडप और दो प्रार्थना मंडप खुले रहेंगे।

मंदिर में खिड़कियां और दरवाजे भी लगाए जाएंगे। मंदिर में लगने वाले सभी दरवाजे और खिड़कियां सागौन की लकड़ी से बनाए जाएंगे। यह बेहद मजबूत लकड़ी होती है जिसकी उम्र लगभग 100 साल के आस पास होती है। इन लकड़ियों को महाराष्ट्र के चंद्रपुर से मंगवाया गया है।

भगवान की मूर्ति

मंदिर में भगवान की 2 मूर्तियां रखी जाएंगी। एक वास्तविक मूर्ति होगी जो 1949 में मिली थी और दशकों तक तंबू में रही है। दूसरी नयी विशाल प्रतिमा काफी दूर से दिखाई देगी। निर्माण कार्य की देखरेख करने वाले ट्रस्ट ने 15 जनवरी को कहा कि अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई भगवान राम की एक गहरे रंग की मूर्ति को अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापना के लिए चुना गया है। “भगवान श्री राम लला की बनी मूर्ति पांच साल के बच्चे के रूप में है। यह प्रतिमा 51 इंच ऊंची है, जो काले पत्थर से बनी है और बहुत ही आकर्षक ढंग से बनाई गई है

उनके अन्य कार्यों में केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची 3-डी प्रतिमा , मैसूर जिले के चुंचनकट्टे में 21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा , मैसूर में बीआर अंबेडकर की 15 फीट ऊंची मूर्ति , 2018 में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, मैसूर में स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद अमृतशिला प्रतिमा, नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार की 5 फीट की प्रतिमा के साथ-साथ उनके प्रसिद्ध कार्यों में से एक है।

मंदिर का घंटा

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मंदिर में 2,100 किलो का एक विशाल घंटा लगाया जाएगा। जो 6 फुट ऊंचा और 5 फुट चौड़ा होगा। इसके अलावा मंदिर में विभिन्न आकार के 10 छोटे घंटे भी लगाए जाएंगे। जिनका वजन 500, 250, 100 किलो होगा। घंटों का निर्माण पीतल के साथ अन्य धातुओं को मिलाकर किया जाएगा। इन घंटों का निर्माण  जलेसर, एटा की फर्म सावित्री ट्रेडर्स कर रही है। एटा का जलेसर पूरी दुनिया मे घुंघरू और घंटी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।

अयोध्या राम मंदिर 2024 से संबंधित प्रश्न

Q. अयोध्या राम मंदिर विवाद पहली बार कोर्ट में कब पहुंचा?
उत्तर – 1885 में पहली बार यह मामला फैजाबाद जिला अदालत में पहुंचा था।

Q . अयोध्या राम मंदिर का फैसला किस जज ने सुनाया था?
उत्तर- न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, पूर्व प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, पूर्व न्यायाधीश अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर ने अयोध्या राम मंदिर का फैसला सुनाया था।

Q. मकराना पत्थर क्या है?
उत्तर- मकराना एक उच्चतम श्रेणी का संगमरमर है, जिसे राम मंदिर के गर्भगृह में इस्तेमाल किया गया है।

Q. श्रीराम मंदिर का निर्माण किस पत्थर से हुआ?
उत्तर- राजस्थान के बलुआ पत्थर से।

Q. अयोध्या राम मंदिर का निर्माण किस शैली में हुआ है?
उत्तर- नागर शैली में।

Q. राम मंदिर की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई कितना है?
उत्तर- लंबाई- 380 फीट, चौड़ाई- 250 फीट, ऊंचाई 161 फीट।

Q. भगवान राम लला की मूर्ति तराशने वाले शिल्पकार का नाम क्या है?
उत्तर- अयोध्या के मंदिर में स्थापित भगवान राम की मूर्ति के मूर्तिकार अरुण योगीराज हैं। वह कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले हैं।

Q. राम मंदिर का डिज़ाइन किसने तैयार किया है?
उत्तर- राम मंदिर का डिज़ाइन अहमदाबाद निवासी चंद्रकांत सोमपुरा और उनके बेटे आशीष सोमपुरा ने बनाया था।

Q. श्रीराम मंदिर निर्माण का जिम्मा किस कंपनी पर है?
उत्तर- लार्सन एंड टुब्रो एल एंड टी।

Q. राम लला की मूर्ति के निर्माण में किस पत्थर का प्रयोग किया गया है?
उत्तर- शालिग्राम पत्थर (श्याम वर्ण) या काला पत्थर।

Q. अयोध्या मंदिर निर्माण कब शुरू हुआ?
उत्तर- साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अयोध्या मंदिर का निर्माण शुरू हो गया था।

Q. राम मंदिर निर्माण में खर्च?
उत्तर – प्राण प्रतिष्ठा तक हुए निर्माण में करीब 1100 करोड़ रुपये का खर्च आया है। कुल अनुमानित राशि 1400 करोड़ रुपये है।

Q. अयोध्या में श्री रामलला के बहुप्रतीक्षित प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मुख्य अनुष्ठान का नेतृत्व किसने किया?
उत्तर – श्री रामलला का बहुप्रतीक्षित प्राण प्रतिष्ठा समारोह अयोध्या में आयोजित किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भव्य मंदिर में अनुष्ठान का नेतृत्व किया।

हिमाचल जी के. यहां से पढे

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