आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24
हिमाचल प्रदेश के हालिया आर्थिक सर्वेक्षण में राज्य की अर्थव्यवस्था के सकारात्मक रुझानों की झलक मिलती है। यह ब्लॉग आपको सर्वेक्षण के प्रमुख बिंदुओं और राज्य के भविष्य के लिए इनके मायने के बारे में जानकारी देगा।
सामान्य समीक्षा
- विश्व आर्थिक दृष्टिकोण (डब्ल्यूई.ओ.) का अनुमान है कि वैश्विक वृद्धि 2022 में 3.5 प्रतिशत से घटकर 2024 में 2.9 प्रतिशत हो जाएगी।
- अग्रिम अनुमान के अनुसार, मार्च, 2024 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए स्थिर कीमतों (2011-12) पर भारत की वास्तविक जी.डी.पी. ₹171.79 लाख करोड़ अनुमानित है, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में जी. डी.पी. का अनंतिम अनुमान ₹160.06 लाख करोड़ है।
- वित्त वर्ष 2023-24 की विकास दर में सबसे अधिक योगदान देने वाले क्षेत्र निर्माण, वित्तीय सेवाएं, रियल एस्टेट, बिजली, गैस, जल आपूर्ति आदि और खनन और उत्खनन हैं।
- वित्त वर्ष 2023-24 के लिए प्रचलित कीमतों पर भारत की प्रति व्यक्ति निवल राष्ट्रीय आय ₹1,85,854 अनुमानित है।
- प्रचलित कीमतों पर हिमाचल प्रदेश की सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जी.एस.डी.पी.) वित्त वर्ष 2022-23 (प्र.स.अ.) में ₹1,91,728 रुपये होने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में दूसरे संशोधित अनुमान में ₹1,72,162 करोड़ है जो वर्ष के दौरान 11.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
- स्थिर कीमतों (2011-12) पर हिमाचल प्रदेश की जी.एस.डी.पी. वित्त वर्ष 2021-22 (द्व.स.अ.) में ₹1,24,770 करोड़ के मुकाबले वित्त वर्ष 2022-23 में ₹1,33,372 करोड़ होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की 7.6 प्रतिशत की विकास दर के मुकाबले वर्ष 2022-23 में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
- वित्त वर्ष 2022-23 में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि मुख्य रूप से प्राथमिक क्षेत्र में 5.7 प्रतिशत की वृद्धि, द्वितीयक क्षेत्र में 5.1 प्रतिशत की वृद्धि और अर्थव्यवस्था के तृतीयक क्षेत्र में 10.4 प्रतिशत की वृद्धि के कारण है।
राज्य आय
- अग्रिम अनुमानों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए प्रचलित भावों पर हिमाचल प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जी.एस.डी.पी.) ₹2,07,430 करोड़ होने का अनुमान है जोकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में ₹1,91,728 करोड़ था और वित्तीय वर्ष 2022-23 के प्रथम संशोधित (प्र.स.अ.) के 11.4 प्रतिशत के मुकाबले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर प्रदर्शित करता है।
- राज्य के प्रति व्यक्ति आय (पी.सी.आई.) में 2011-12 में ₹87,721 से 2023-24 में ₹2,35,199 की तेजी से वृद्धि हुई है, जो 2011-12 की तुलना में 7.9 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सी.ए.जी.आर.) दर्ज करती है। वर्ष 2011-12 में भारत की पी.सी.आई. ₹63,462 थी, जो वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर ₹1,85,854 हो गयी है, जो 2011-12 की तुलना में 8.6 प्रतिशत की सी.ए.जी.आर. दर्ज करती है।
- प्राथमिक क्षेत्र जो राज्य की अर्थव्यवस्था की आधार है, राज्य की 58.71 प्रतिशत आबादी को रोजगार देता है और क्रमशः वित्तीय वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 में स्थिर मूल्य सकल मूल्य वर्धित (जी.वी.ए.) में 4.6 प्रतिशत, 5.7 प्रतिशत और 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
- द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों में कार्यरत कार्यबल की हिस्सेदारी (क्रमशः 16.94 और 24.35 प्रतिशत) जी.वी.ए. (41.98 और 44.08) की हिस्सेदारी से कम है, जिसका अर्थ है कि कम श्रमिक जी.वी.ए. में अधिक योगदान दे रहे हैं जो कृषि से कार्यबल के पुनः आवंटन की संभावना को दर्शाता है। कृषि से कार्यबल द्वितीयक क्षेत्र में पुनः आवंटन से प्राथमिक क्षेत्र में छिपी बेरोजगारी कम हो जाएगी।
सार्वजनिक वित्त
- केंद्र से अनुदान राज्य की कुल प्राप्तियों का 25 प्रतिशत है, जो की वित्त वर्ष 2023-24 बजट अनुमान (ब.अ.) में कुल प्राप्तियों में राज्य के स्वामित्व वाले कर राजस्व के प्रतिशत के बराबर है। वित्तीय अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 (वा.) की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 में केंद्र से अनुदान लगभग 12.4 प्रतिशत अंक कम होगा।
- वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राज्य की राजस्व प्राप्तियां जी.एस.डी.पी. का 18.32 प्रतिशत होने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में यह 21.67 प्रतिशत थी।
- राज्य के गैर-कर राजस्व में आर्थिक सेवाओं जो गैर-कर राजस्व का सबसे अधिक योगदान देने वाला घटक हैं, जिसमें बिजली, गैस और जल आपूर्ति शामिल हैं का वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य की कुल प्राप्तियों में योगदान प्रतिशत 4.6 प्रतिशत है।
- वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राज्य सरकार का कुल व्यय ₹53,413 करोड़ अनुमानित था, जिसमें से ₹42,704 करोड़ राजस्व व्यय के लिए निर्धारित किए गए थे। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 79.95 प्रतिशत राजस्व व्यय के लिए निर्धारित किए गए थे जबकि, पूंजीगत व्यय के लिए कुल व्यय का 9.74 प्रतिशत निर्धारित था।
- वित्त वर्ष 2023-24 के लिए कुल प्रतिबद्ध व्यय ₹30,400 करोड़ है जो कुल व्यय का 56.92 प्रतिशत और जी.एस.डी.पी. का 14.66 प्रतिशत है।
- वित्त वर्ष 2021-22 में जी.एस.डी.पी. के प्रतिशत के रूप में ऋण 37.02 प्रतिशत था जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में यह 40.23 प्रतिशत था।
- वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जेंडर बजट व्यय ₹4302 करोड़ निर्धारित है।
- वित्त वर्ष 2023-24 में राजस्व व्यय पर आर. एंड.डी. ₹1024 करोड़ और पूंजी व्यय पर ₹93.21 करोड़ होने का अनुमान है।
बैंकिंग संस्थागत वित्त
- राज्य में कुल 2,292 बैंक शाखाओं का नेटवर्क हैं और 77 प्रतिशत से अधिक शाखाएं ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रही है। अक्तूबर, 2022 से सिंतबर, 2023 तक 55 शाखाएं नई खोली गई। वर्तमान में 1,760 शाखाएं ग्रामीण क्षेत्रों में, 429 अर्ध-शहरी क्षेत्रों में तथा 103 शिमला में, जोकि राज्य का केवल एक ही शहरी क्षेत्र में स्थित है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्गीकृत किया हैं।
- सितम्बर, 2023 तक राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पी.एस.बी.) की कुल 1,170 शाखाएं हैं जो कि राज्य में बैंकिंग क्षेत्र का कुल शाखा नेटवर्क का 51 प्रतिशत है। पंजाब नैशनल बैंक (पी.एन.बी.) की सबसे अधिक 350 शाखाएँ हैं, उसके बाद स्टेट बैंक आफ इंडिया (एस.बी.आई.) की 349 शाखाएं हैं तथा यूको बैंक की 181 शाखाएं हैं। 246 शाखाओं वाले निजी क्षेत्रों के बैंकों में आई.सी.आई.सी.आई बैंक की 55 और एच.डी.एफ.सी. की 103 शाखाएं हैं।
- जिलावार बैंक शाखाओं के प्रसार के संदर्भ में, कांगड़ा जिले में सबसे अधिक 425 बैंक शाखाएं तथा लाहौल-स्पीति में सबसे कम 26 शाखाएं हैं। विभिन्न बैंकों द्वारा 2,170 ए.टी.एम. की स्थापना से बैंक सेवाओं की पहुंच और बढ़ गई है।
- बैंकों द्वारा दिए गए कुल ऋण में से सितम्बर, 2023 तक भारतीय रिजवीं बैंक द्वारा निर्धारित 18 प्रतिशत राष्ट्रीय मानकों की तुलना में 17.48 प्रतिशत कृषि ऋण प्रदान किए है।
- बैंकों के पास सितंबर, 2023 तक, पी.एम.जे.डी.वाई. में 18.30 लाख खाते हैं। इनमें से 16.38 लाख खाते ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, जबकि 1.92 लाख शहरी क्षेत्रों में हैं।
- राज्य में बैंकों का ऋण जमा अनुपात (सी.डी.आर.) सितंबर, 2023 तक 44.03 प्रतिशत रहा। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पी.एम.एस.बी.वाई.) के अन्तर्गत बैंकों के पास सितंबर, 2023 तक 23.96 लाख ग्राहक हैं।
मूल्य संचलन और खाद्य प्रबन्धन
- अर्थव्यवस्था का विश्लेषण करने के लिए कीमतें महत्वपूर्ण हैं। अभूतपूर्व बारिश, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध, कच्चे तेल और अन्य वस्तुओं की बढ़ती लागत के कारण कीमतों में वृद्धि के कारण चालू वित्तीय वर्ष के दौरान हिमाचल प्रदेश की आबादी बुरी तरह प्रभावित हुई।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 में आपूर्ति पक्ष की रुकावटों के कारण मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) की अधिकतम सहनशीलता सीमा 6 प्रतिशत से ऊपर चली गई। हिमाचल प्रदेश की मुद्रास्फीति दर हाल ही में कुछ हद तक कम हो गई है, जो 2018-19 में आर.बी.आई. की हेडलाइन मुद्रास्फीति लक्ष्य दर 4 प्रतिशत से नीचे आ गई है। चालू वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल से दिसंबर तक, राज्य स्तर पर थोक मूल्य मुद्रास्फीति (डब्ल्यू.पी.आई.) 11.6 प्रतिशत से गिरकर (-) 1.1 प्रतिशत हो गई। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीतियों में 1.9 से 5.1 प्रतिशत के बीच उतार-चढ़ाव रहा।
- नवंबर, 2023 के महीने में, हिमाचल प्रदेश का सी.पी.आई. (आई.डब्लयू.) पूरे भारत के 139.1 की तुलना में 133.4 था। इसलिए, हिमाचल प्रदेश की उपभोक्ता मुद्रास्फीति दर 1.6 प्रतिशत रही। अखिल भारतीय मुद्रा स्फीति की दर 4.98 से हिमाचल प्रदेश की मुद्रा स्फीति दर कम है।
- जब महत्वपूर्ण वस्तुओं की बात आती है तो सरकार समान्यता उत्पादन और डे आपूर्ति की स्थिति की जांच करती है। वित्त वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 में मूल्य स्थिरता प्रदान करने के लिए दालों की बफर आपूर्ति का भंडारण किया गया और धीरे-धीरे दालों को बफर स्टॉक से मुक्त करके बाजार की कीमतों को बनाए रखा गया।
- लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टी.पी.डी.एस.) सरकार की गरीबी उन्मूलन नीति के भाग के रूप में 5,249 उचित मूल्य स्टोरों के माध्यम से गेहूं, गेहूं का आटा, चावल, चीनी और अन्य आवश्यक वस्तुओं का वितरण करती है। हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम ने जनवरी से दिसंबर, 2023, तक ₹1,304.09 करोड़ मूल्य के टी.पी.डी.एस. वस्तुओं का अधिग्रहण और वितरण किया था। दिसंबर 2023 तक, निगम ने पंचायतों को ₹76.33 करोड़ मूल्य के 24,36,300 बैग सीमेंट खरीद कर वितरित किए।
- सरकार की जनजातीय कार्य योजना के अन्तर्गत् चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान जनजातीय और हिमाच्छादित क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं और पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति की गई। राज्य सरकार नागरिक आपूर्ति निगम को गोदाम बनाने के लिए धन उपलब्ध करा रही है ताकि वे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एन.एफ.एस.ए.) योजना के अन्तर्गत् अधिक खाद्यान्न का भंडारण कर सकें।
कृषि और बागवानी
- कृषि और इसकी संबद्ध गतिविधियाँ राज्य के अधिकांश लोगों के जीवन और आजीविका का अभिन्न अंग हैं। इस तथ्य के अतिरिक्त यह क्षेत्र खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है, यह राज्य के आधे से अधिक कार्यबल यानी 58.71 प्रतिशत को आजीविका भी प्रदान करता है। कुल सकल राज्य मूल्य वर्धित (जी.एस.वी.ए.) में कृषि और उससे जुड़े उद्योगों की हिस्सेदारी लगभग 13.70 प्रतिशत है।
- फसल उप-क्षेत्र हिमाचल प्रदेश में कृषि के अंतर्गत प्रमुख उप-क्षेत्र का गठन करता है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में कृषि और संबद्ध क्षेत्र जी.एस.वी.ए. का 62 प्रतिशत और कुल जी.एस.वी.ए. का 8.50 प्रतिशत है।
- वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, कृषि और संबद्ध क्षेत्र जी.एस.वी.ए. में पशुधन, मत्स्य पालन और वानिकी का योगदान क्रमशः 9.6 प्रतिशत, 1.1 प्रतिशत और 27.3 प्रतिशत रहा।
- रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए जटिल उर्वरकों के लिए प्रति मीट्रिक टन 1,000 रुपये की सब्सिडी की अनुमति दी गई है।
- “मुख्यमंत्री किसान एवं खेतीहर मजदूर जीवन सुरक्षा” के अंतर्गत किसानों को आंशिक विच्छेदन, स्थायी विकलांगता और मृत्यु की स्थिति में क्रमशः ₹10,000 से 40,000, ₹1.00 लाख और ₹3.00 लाख की राशि का मुआवजा दिया जाता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ₹40.00 लाख का बजट प्रावधान रखा गया है।
- “प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना” के अंतर्गत अब तक राज्य में 1,78,643 किसानों ने 24,210 हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती का विकल्प चुना है। वित्त वर्ष 2023-24 में अतिरिक्त 50,000 बीघा भूमि को कवर किया जाएगा। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ₹13.00 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है। • प्रवाह सिंचाई योजना के अंतर्गत सरकार ने बोरवेल और उथले कुओं के निर्माण के लिए 50 प्रतिशत अनुदान देने का निर्णय लिया है।
- वित्त वर्ष 2022-23 में कुल फल उत्पादन 8.15 लाख टन था, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 ( 31 दिसंबर 2023 तक) में कुल फल उत्पादन 5.84 लाख टन था। फलों के पौधों के अंतर्गत 1,224 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को लाने की योजना बनाई गई।
- एंटी हेल नेट योजना के अंतर्गत एंटी हेल नेट लगाने के लिए 31 दिसंबर, 2023 तक ₹7.00 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं, इस कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के 566 किसान लाभान्वित हुए हैं।
- विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के तहत पराला में नव स्थापित प्रसंस्करण इकाई की उत्पादन क्षमता 18,000 मीट्रिक टन सेब का रस, 50,000 लीटर सिरका और 1,00,000 लीटर वाइन प्रति वर्ष है।
- मुख्यमंत्री कीवी प्रोत्साहन योजनाः इस योजना के अंतर्गत, वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान क्षेत्रीय पदाधिकारियों को ₹1.00 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जिसमें से अब तक 20.00 लाख कर उपयोग किया जा चुका है। 31 दिसंबर, 2023 तक 12 किसान लाभान्वित होकर 2 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है।
पशुपालन
- पशुधन खेती लोगों की वसा और प्रोटीन की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पशुधन उद्योग देश में गैर-सरकारी स्तर पर नौकरियों का एक प्रमुख स्रोत है। हिमाचल प्रदेश में घरेलू पशुपालन व्यापक है। बीस में से उन्नीस घरों में किसी न किसी प्रकार के पशुधन हैं, जिनमें गाय और भैंस सबसे आम हैं।
- पशुधन गणना 2019 के अनुसार, राज्य के पास भारत के कुल पशुधन का 0. 82 प्रतिशत और कुल पोल्ट्री का 0.16 प्रतिशत हिस्सा है। राज्य देश में मवेशियों में 20वें और पोल्ट्री आबादी में 27वें स्थान पर है।
- 2012 की पशुधन गणना की तुलना में 2019 की पशु गणना में राज्य में क्रॉसब्रीड मवेशियों की संख्या में 8.64 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। क्रॉसब्रीड मवेशियों का हिस्सा कुल मवेशियों की आबादी का 58.48 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
- राज्य में दुग्ध उत्पादन 2012-13 के 11.39 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 16.54 लाख मीट्रिक टन हो गया (अनुमानित)।
- हिमाचल प्रदेश में पशुधन द्वारा सृजित सकल मूल्य उत्पादन (जी.वी.ओ.) पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ा है। यह 2018-19 में ₹5,496 करोड़ से बढ़कर 2023-24 के दौरान ₹6,979 करोड़ देखा गया है (अग्रिम अनुमान)।
- हिमाचल प्रदेश मिल्कफेड में 1,107 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां हैं। इन सोसायटियों की कुल सदस्यता 47,500 है,
- वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, 73,167 भेड़ों की ऊन काटी गई, जिससे 412 भेड़ पालकों को लाभ हुआ।
- मछली उत्पादन 2012-13 और 2023-24 के बीच दोगुना से अधिक हो गया और 23 प्रतिशत का चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की गई।
- राज्य का कुल 15,443 वर्ग कि.मी. या 27.74 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित है। हिमाचल प्रदेश में अधिकारिक तौर पर वनों का क्षेत्रफल 37,948 वर्ग कि.मी. है। यह राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 68.16 प्रतिशत है।
- वास्तविक वन क्षेत्र में से 3,163 वर्ग किलोमीटर अति घने वन, 7,100 वर्ग किलोमीटर मध्यम घने वन और 5,180 वर्ग किलोमीटर खुले वन है।
- वित्त वर्ष 2023-24 में, वानिकी और लॉगिंग उप-क्षेत्र ने ₹7,228 करोड़ मूल्य वर्धन किया, जो कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र द्वारा सकल मूल्य वर्धित (जी.वी.ए.) का 27.32 प्रतिशत और कुल सकल राज्य मूल्य वर्धित (जी.एस.वी.ए.) का 3.74 प्रतिशत है।
- वर्ष 2023-24 के लिए 10,000 हेक्टेयर में पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें से 7,636 हेक्टेयर लक्ष्य को प्राप्त कर लिया गया है।
- राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश गैर-जैव निम्नीकरणीय कचरा (नियंत्रण) अधिनियम, 1995 के अंतर्गत समय-2 पर प्लास्टिक वस्तुओं के उपयोग और कचरा फैलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- हिमाचल प्रदेश के कुल 17.09 लाख ग्रामीण परिवारों में से 7.63 लाख के पास जल जीवन मिशन की शुरुआत से पहले ही कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (एफ.एच.टी.सी.) थे। जे.जे.एम. के कार्यान्वयन के माध्यम से, शेष 9. 46 लाख ग्रामीण परिवारों को अब सफलतापूर्वक कवर किया गया है। इस उपलब्धि ने राज्य को ग्रामीण परिवारों के लिए सराहनीय 100 प्रतिशत एफ. एच.टी.सी. संतृप्ति हासिल करने के लिए प्रेरित किया है, जो राष्ट्रीय औसत 72.05 प्रतिशत से अधिक है।
- कमान क्षेत्र विकास (सी.सी.ए.) के लक्ष्यों एवं उपयोग के अन्तर को पाटने के लिए 3,670 हेक्टेयर कृषि योग्य कमान क्षेत्र (सी.सी.ए.) का भौतिक लक्ष्य है। जिसमें से ₹20.67 करोड़ के व्यय के साथ 1,508.08 हेक्टेयर को अक्तूबर, 2023 तक कवर किया गया है।
उद्योग
- पिछले छह वर्षों के दौरान, हिमाचल प्रदेश में उद्योग क्षेत्र ने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जी.एस.डी.पी.) में औसतन 43 प्रतिशत का योगदान दिया है।
- मौजूदा कीमतों पर उद्योग क्षेत्र (खनन और उत्खनन सहित) का कुल सकल मूल्य वर्धित (जी.वी.ए.) वित्त वर्ष 2023-24 (अग्रिम अनुमान) में ₹82,658 करोड़ है। यह हिमाचल के लिए सकल राज्य मूल्य वर्धित (जी. एस.वी.ए.) का 42.80 प्रतिशत दर्शाता है।
- प्रचलित कीमतों पर जी.वी.ए. में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान, औद्योगिक क्षेत्र के कुल मूल्यवर्धन का 68.34 प्रतिशत है तथा शेष 31.66 प्रतिशत निर्माण, खनन और उत्खनन, बिजली और अन्य उपयोगी उद्योगों से प्राप्त होता है।
- वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में 8.9 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है जो उद्योग क्षेत्र में दूसरी सबसे ऊंची वृद्धि दर है।
- हिमाचल प्रदेश के लिए कार्ये उद्योग द्वारा आम तौर पर काम करने वाले व्यक्तियों का प्रतिशत वितरण (कुल कार्यबल में से) दर्शाता है कि 58.71 प्रतिशत, 16.94 प्रतिशत और 24.35 प्रतिशत व्यक्ति क्रमशः प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक क्षेत्र में कार्यरत हैं (पी.एल.एफ.एस., 2022-23)
- राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग 2022 के चौथे संस्करण में, हिमाचल को बी श्रेणी (एक करोड़ से कम जनसंख्या) में राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग 2022 के तहत ‘सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शक राज्य के रूप में मान्यता दी गई है।
- हिमाचल में निवेश के लिए केद्रित क्षेत्र हैं: कृषि-व्यवसाय, खाद्य प्रसंस्करण और पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी, विनिर्माण और फार्मास्यूटिकल्स, पर्यटन, आतिथ्य और नागरिक उड्डयन, आयुष, कल्याण और स्वास्थ्य देखभाल, आवास, शहरी विकास, परिवहन और अवसंरचना, सूचना प्रौद्योगिकी (आई. टी), सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाएं (आई.टी.ई.एस.) और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, शिक्षा और कौशल विकास तथा नवीकरणीय विद्युत आदि।
- 15 जनवरी, 2024 तक राज्य में 1,36,015 उद्यमों ने उद्यम पोर्टल पर पंजीकरण कराया है, जिनमें से 1.32.412 (97.35 प्रतिशत) सूक्ष्म, 3,227 (2.37 प्रतिशत) लघु और 376 (0.28 प्रतिशत) मध्यम श्रेणी के हैं।
ऊर्जा
- हिमाचल प्रदेश में बड़ी संख्या में जलविद्युत संसाधन हैं, जो राष्ट्रीय क्षमता का लगभग 25 प्रतिशत है। पांच बारहमासी नदी घाटियों पर विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण से राज्य में लगभग 24,000 मेगावाट जलविद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता है।
- राज्य की कुल जलविद्युत क्षमता में से अब तक 11,209 मेगावाट का दोहन किया जाता है, जिसमें से केवल 7.6 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश सरकार के नियंत्रण में है, जबकि शेष केंद्र सरकार द्वारा उपयोग की जा रही है।
- वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, एच.पी.एस.ई.बी.एल. के अपने बिजली संयंत्रों ने 2,157.46 एम.यू. ऊर्जा का उत्पादन किया था।
- वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान जिला मंडी में स्थित एच.पी.एस.ई.बी.एल. के बिजली घरों द्वारा उत्पादित ऊर्जा सबसे अधिक थी, इसके बाद जिला किन्नौर था।
- हिमाचल प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 (31 दिसंबर 2023 तक) के दौरान ₹1434 करोड़ का राजस्व अर्जित किया है और मार्च, 2024 तक बिजली की बिक्री से रॉयल्टी एवं विद्युत परियोजनाओं में राज्य सरकार के हिस्से से बिक्री का अनुमानित राजस्व ₹242 करोड़ है।
- एच.पी.पी.सी.एल. ने इस वित्तीय वर्ष 2023-24 में दिसंबर, 2023 तक चार परियोजनाओं से 775.23 मिलियन यूनिट बिजली का कुल उत्पादन हासिल किया है। जलविद्युत परियोजनाओं से बिजली की बिक्री से उत्पन्न राजस्व ₹256.29 करोड़ रुपये (एच.पी.पी.सी.एल. शेयर) है और सौर परियोजना से बिजली की बिक्री से उत्पन्न राजस्व ₹2.64 करोड़ अर्जित किए है।
- राज्य में कार्यान्वित किए जा रहे प्रमुख कार्यक्रम हैं सौर ऊर्जा परियोजनाएं, ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप प्लांट, सोलर फोटोवोल्टिक ऑफ-ग्रिड सिस्टम, सोलर थर्मल सिस्टम और लघु जलविद्युत परियोजनाएं (5 मेगावाट क्षमता तक) हैं।
श्रम और रोजगार
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पी.एल.एफ.एस.) वर्ष 2022-23 में समस्त आयु का एल.एफ.पी.आर. हिमाचल प्रदेश (61.3) के लिए, उत्तराखंड (42.5), पंजाब (42.3), हरियाणा (36.3) और समस्त भारत (42.4) से अधिक है। महिलाओं के लिए यह इन सभी राज्यों (उत्तराखंड को छोड़ कर) व समस्त भारत से दुगने से भी ज्यादा है
- वर्ष 2022-23 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात समस्त आयु वर्ग में हिमाचल प्रदेश की स्थिति (58.6), उत्तराखंड (40.6), पंजाब (39.7), हरियाणा (34.1) और पूरे भारत (41.1) से बेहतर है। सर्वेक्षण के नतीजों से स्पष्ट होता है कि हिमाचल प्रदेश में महिलाएं (54.8 प्रतिशत) अखिल भारतीय स्तर पर और पड़ोसी राज्यों में अपने समकक्षों की तुलना में आर्थिक गतिविधियों में अधिक सक्रिय रूप से भाग ले रहीं हैं।
- पी.एल.एफ.एस. 2022-23 के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए, एल.एफ.पी.आर. 2017-18 में 63.5 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 79.2 प्रतिशत हो गया, जबकि शहरी क्षेत्रों के लिए यह 52.9 प्रतिशत से बढ़ कर 58.0 प्रतिशत हो गया।
- रोजगार चाहनें वालों को रोजगार सहायता/सूचना सेवा, 3 क्षेत्रीय रोजगार कार्यालयों, 9 जिला रोजगार कार्यालयों, 2 विश्वविद्यालयों में रोजगार सूचना एवं मार्गदर्शन केन्द्रों और 65 उप-रोजगार कार्यालयों, दिव्यागों के लिए एक विषेश रोजगार कार्यालय और एक केन्द्रीय रोजगार कक्ष के माध्यम से प्रदान की जाती हैं।
- हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम (एच.पी.के.वी.एन.) राज्य सरकार का निगम है जो राज्य कौशल मिशन के रूप में 14 सितम्बर, 2015 को कम्पनी अधिनियम, 2013 के अन्तर्गत गठित किया गया। हिमाचल प्रदेश के युवाओं को परिक्षण देने हेतु कौशल विकास निगम द्वारा दो प्रमुख परियोजनाओं को लागू किया जा रहा है। जिसमें कि (1) एशियाई विकास बैंक (ए.डी.बी.) द्वारा पोषित हिमाचल युवा कौशल विकास परियोजना (एच.पी.एस.डी.पी.) (ii) राज्य द्वारा कार्यान्वित प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (पी.एम.के.वी.वाई.) 2.0 तथा 3.0।
- हिमाचल प्रदेश कौशल विकास परियोजना के पूर्व शिक्षण की मान्यता (आर.पी. एल.) घटक के तहत 10,622 उम्मीदवारों को नामांकित किया गया है और 8,181 उम्मीदवारों को प्रमाणित किया गया है।
पर्यटन
- हिमाचल प्रदेश एक पर्यटन राज्य है जो दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है। राज्य ने दिसंबर, 2023 तक लगभग 160.05 लाख पर्यटकों को आकर्षित किया, जिनमें से 159.42 लाख भारतीय और 0.63 लाख विदेशियों ने राज्य का भ्रमण किया।
- विभाग ने ब्याज अनुदान योजना के अन्तर्गत ₹60.00 लाख की ब्याज राशि की प्रतिपूर्ति की है और कुल 38 पर्यटन इकाइयां लाभान्वित हुई हैं।
- सरकार ने पर्यटन विकास योजना के अन्तर्गत राज्य में पर्यटन के विकास के लिए ₹398.71 करोड़ के बजट प्रावधान के साथ अतिरिक्त धनराशि प्रदान की है।
- राज्य में 31 दिसंबर, 2023 तक जिलेवार 22,43,524 (परिवहन एवं गैर परिवहन) वाहन पंजीकृत है।
- राज्य में 31 दिसंबर, 2023 तक परिवहन विभाग का राजस्व संग्रह ₹581.13 करोड़ है।
- इच्छुक उम्मीदवारों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विभाग ने 262 प्रदूषण जांच केंद्रों सहित राज्य में 384 ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों (डी.टी.एस.) को लाइसेंस दिए हैं।
- परिवहन विभाग ने बेरोजगार युवाओं को विभिन्न श्रेणियों के परमिट प्रदान करके 31 दिसंबर, 2023 तक 33,967 लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाया है।
- राज्य सरकार ने विभिन्न हित्तधारकों के सहयोग से (पहले चरण में राज्य के कुल 107 स्थानों, 54 सरकारी साइटों 53 पेट्रोल पंपों) इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन’ की स्थापना की है।
शिक्षा
- हिमाचल प्रदेश सरकार का ध्यान शिक्षा पर है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र में बड़ी संख्या में स्कूल और कॉलेज हैं। राज्य भर में छात्रों की पढ़ाई के लिए 10,370 प्राथमिक विद्यालय, 1,850 माध्यमिक विद्यालय, 960 उच्च विद्यालय और 1,984 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हैं। इसके अतिरिक्त, सरकार उच्च शिक्षा को और अधिक समर्थन देने के लिए 148 डिग्री कॉलेज संचालित करती है।
- जनगणना परिणामों के अनुसार 2011 में हिमाचल प्रदेश में साक्षरता दर 82.80 प्रतिशत थी, जो राष्ट्रीय औसत 74.0 प्रतिशत से 8.8 प्रतिशत अधिक थी। पुरुष साक्षरता दर 89.53 प्रतिशत थी, जबकि महिला साक्षरता दर 75. 93 प्रतिशत थी। 2019-21 में किये गये राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एन.एफ.एच.एस.)-5 के अनुसार, नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश में साक्षरता दर बढ़कर 93.3 प्रतिशत हो गई है। पुरुष और महिला साक्षरता दर अब क्रमशः 94.9 प्रतिशत और 91.7 प्रतिशत है, जिसमें 3.2 प्रतिशत लैंगिक असमानता है।
- अपना विद्यालय हिमाचल स्कूल दत्तक ग्रहण कार्यक्रम को हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 3 जनवरी, 2024 को अधिसूचित किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य सरकारी स्कूलों में सुधार के लिए जन प्रतिनिधियों, प्रशासनिक नेताओं और कुशल पेशेवरों के बीच एक सहक्रियात्मक साझेदारी बनाना है।
- एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (आई.आर.डी.पी.) / गरीबी रेखा से नीचे (बी.पी.एल) छात्रवृत्ति योजना के अन्तर्गत पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों को प्रति वर्ष ₹500 और छठी से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को प्रति वर्ष ₹700 दिए जाते हैं। इस योजना के अन्तर्गत 68,955 विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं।डॉ. अम्बेडकर मेधावी छात्रवृत्ति योजना के अन्तर्गत, हिमाचल प्रदेश बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (एच.पी.बी.ओ.एस.ई.) की मैट्रिक परीक्षा के अनुसूचित जाति (एस.सी.) के शीर्ष 1,250 छात्रों और अन्य पिछड़ा वर्ग (आओ.बी.सी.) के 1,000 मेधावी छात्रों को प्रति वर्ष ₹18,000 दिए जाते हैं। इस योजना के अन्तर्गत 1,716 अनुसूचित जाति के छात्र और 1,424 अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र लाभान्वित हुए हैं।
- इंदिरा गांधी उत्कृष्ट छात्रवृत्ति योजना के अन्तर्गत, 10+2 (एच.पी.बी. ओ.एस.ई. से संबद्ध) की मेरिट सूची के शीर्ष 10 छात्रों और 10+2 के बाद के पाठ्यक्रमों के लिए प्रति वर्ष ₹18,000 दिए जाते हैं। इस योजना के अन्तर्गत 31 विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं।
- स्वामी विवेकानन्द उत्कृष्ट छात्रवृति योजना के अन्तर्गत हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड, धर्मशाला से मैट्रिक परीक्षा के सामान्य वर्ग के शीर्ष 2000 मेधावी छात्रों को प्रति वर्ष ₹18,000 की दर से छात्रवृत्ति प्रदान की गई। इस योजना से 3,124 विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं।
स्वास्थ्य
- हिमाचल प्रदेश का स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग 115 सिविल अस्पतालों, 104 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, 580 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 16 ई.एस.आई.सिविल औषधालयों और 2,114 स्वास्थ्य उप केंद्रों सहित स्वास्थ्य सुविधाओं के एक सुस्थापित नेटवर्क की उपस्थिति के साथ उपचारात्मक, निवारक और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करता है यह व्यापक नेटवर्क पूरे राज्य में नागरिकों तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें दूरदराज या कम सेवा वाले क्षेत्रों के लोग भी शामिल हैं।
- मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष के तहत अत्यंत गंभीर बीमारी से पीड़ित रोगियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के अंतर्गत 10 जनवरी, 2024 तक 588 लाभार्थियों को ₹3.89 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।
- हिमाचल स्वास्थ्य देखभाल (हिमकेयर) योजना उन परिवारों के लिए है जो आयुष्मान भारत के अंतर्गत नहीं आते हैं या सरकारी चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाभ उठाने के पात्र नहीं हैं। कैशलेस उपचार कवरेज ₹5.00 लाख प्रति वर्ष है। अब तक 8.52 लाख परिवारों को पंजीकृत किया गया है और 2.28 लाख लाभार्थियों ने 2023-24 में 10 जनवरी, 2024 तक ₹309.84 करोड़ की राशि के कैशलेस उपचार का लाभ उठाया है।
- जननी शिशु सुरक्षा व कार्यक्रम (जे.एस.एस.के.) गर्भवती महिलाओं और बीमार शिशुओं दोनों के लिए एक वर्ष के लिए जेब खर्च को समाप्त करने के लिए है। यह पहल सभी लाभार्थियों को मुफ्त दवा, उपभोग्य वस्तुएं, उपचार, रक्त, सर्जरी, परिवहन, भोजन और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में उपयोगकर्ता शुल्क से छूट का अधिकार देती है। वित्त वर्ष 2023-24 में 93,169 महिलाओं को इस योजना का लाभ मिला है।• 2023-24 के शैक्षणिक सत्र में, इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आई. जी.एम.सी.) और अस्पताल, शिमला ने विभिन्न सुपर स्पेशलिटी पाठ्यक्रमों में 7 सीटें सफलतापूर्वक भरीं। इसके अतिरिक्त, डॉ. राजिंदर प्रसाद सरकारी मेडिकल कॉलेज (डॉ.आर.पी.जी.एम.सी.) और अस्पताल, कांगड़ा, टांडा में डीएनबी सुपर स्पेशलिटी पाठ्यक्रमों में 4 सीटें हासिल कीं, जिनमें से प्रत्येक में डी.एन.बी. न्यूरोलॉजी और डी.एन.बी. कार्डियोलॉजी के लिए 2 सीटें आवंटित की गईं।
- शैक्षणिक सत्र 2023-24 के दौरान सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में 295 बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बी.डी.एस.) और 100 मास्टर ऑफ डेंटल सर्जरी (एम.डी.एस.) की सीटें भरी गईं।
समाजिक कल्याण
- मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के अन्तर्गत सामाजिक सुरक्षा अनाथ, अर्ध-अनाथ, विशेष रूप से विकलांग और अन्य बच्चों, एकल नारी, निराश्रित महिलाओं को देखभाल और सुरक्षा की व्यापक देखभाल और सुरक्षा प्रदान करने के लिए आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं हो जाते हैं।
- मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के अन्तर्गत सामाजिक सुरक्षा मद में 1084 बच्चे तथा 2,718 बच्चों को वजीफा/पॉकेट मनी प्रदान की जा रही है। मुख्यमंत्री सुख आश्रय कोष के अंतर्गत 185 बच्चों को शामिल किया गया है, जो उच्च शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास और स्टार्ट-अप कर रहे हैं।
- हिमाचल प्रदेश सरकार ने सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं में पुरानी पेंशन योजना, विशेष क्षमता राहत भत्ता, विधवा / परित्यक्ता/एकल नारी पेंशन आदि शामिल हैं।
- हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास निगम (एच. पी.एस.सी. और एस.टी.डी.सी.) और हिमाचल प्रदेश पिछड़ा वर्ग वित्त और विकास निगम (एच.पी.बी.सी.एफ. और डी.सी.) कई स्व-रोजगार पहल चला रहे है।
- मशोबरा स्टेट होम में वर्तमान में 21 निवासी हैं। राज्य गृह छोड़ने के बाद ऐसी महिलाओं के पुनर्वास के लिए प्रति महिला ₹25,000 तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। महिलाओं को शादी के मामले में भी ₹51,000 दिए जाते हैं।
- 2023-24 के दौरान राज्य में अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए अनुसूचित् जाति विकास योजना के तहत दिसंबर, 2023 तक ₹1,130 करोड़ खर्च किए गए हैं और अनुसूचित जनजाति विकास योजना के अंतर्गत अनुसूचित वर्ग के कल्याण के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में सितम्बर, 2023 तक ₹130.57 करोड़ खर्च किए गए ।
- हिमाचल प्रदेश अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम द्वारा छोटे उद्यम स्थापित करने के लिए 40 प्रतिशत या उससे अधिक की विशेष क्षमता वाले विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों को ऋण प्रदान किया जाता है।
- बाल संरक्षण योजना, मुख्यमंत्री बाल उद्धार योजना, बेटी है अनमोल योजना और सशक्त महिला योजना सहित महिलाओं, लड़कियों और बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए राज्य द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
ग्रामीण विकास और पंचायती राज
- वित्त वर्ष 2023-24 में कृषि आजीविका को हिमाचल प्रदेश के सभी विकास खण्डों में शुरू किया गया है, अब तक कृषि आजीविका केवल सघन विकास खण्डों में ही शुरू किया जा रहा था। कृषि आजीविका योजना के अन्तर्गत 4,458 गांवों में 83,512 महिला किसानों की पहचान की गई है और 736 कृषि आजीविका का सीआरपी (कृषि सखी और पशु सखी, कृषि उद्योग सखी) की पहचान की गई है और उन्हें कृषि पारिस्थतिक प्रथाओं और सतत पशु धन प्रथाओं पर प्रशिक्षित किया गया है। सभी महिला किसानों को कृषि आजीविका सीआरपी द्वारा कृषि पारिस्थतिक प्रथाओं और सतत पशु धन पर प्रशिक्षित किया जा रहा है।
- हिम-इरा ब्रांड की स्थापना की गई है, जहां स्थानीय स्वयं सहायता समूह भाग ले सकते हैं और अपने उत्पाद बेच सकते हैं। वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-दिसंबर) में पांच नए विकास खंड हिम-इरा साप्ताहिक बाजार का आयोजन करेंगे। वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल से दिसंबर) के लिए इन साप्ताहिक बाजारों की कुल बिक्री ₹1.87 करोड है।
- मुख्यमंत्री आवास योजना (एम.एम.ए.वाई.) के अंतर्गत दिसंबर, 2023 तक, एजेंसी ने 533 घरों को मंजूरी दी और बजट प्रावधान में से ₹802.00 करोड़ व्यय किए।
- मातृ शक्ति बीमा योजना (एम. एस. बी. वाई.) वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, 31 दिसंबर, 2023 तक 64 परिवारों को कुल ₹1.26 करोड की वित्तीय सहायता की पेशकश उपलब्ध करवाई गई।
- वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान वृक्षारोपण के तहत, बागवानी गतिविधियों सहित, कुल 84,448 पौधे लगाए गए हैं और वृक्षारोपण के तहत कवर किया गया कुल क्षेत्र 422.93 हेक्टेयर है।
- वर्ष 2023-24 के लिए 15वें वित्त आयोग के तहत राज्य के लिए कुल ₹332.00 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से ₹52.59 करोड़ को आवंटित पंचायती राज संस्थाओं को वितरित किए गए।
आवास और शहरी विकास
- हिमाचल प्रदेश सरकार, आवास एवम् शहरी विकास प्राधिकरण (हिमुडा) के माध्यम से सभी आर्थिक स्तरों के व्यक्तियों की आवास आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न प्रकार के मकान, फ्लैट और विकसित भूखंड प्रदान कर रहा है।
- 15वें वित्तायोग ने शहरी स्थानीय निकायों एवं छावनी परिषदों के लिए दो प्रकार की अनुदान राशि वितरण करने का प्रस्ताव किया है। पहली अनुदान राशि (40 प्रतिशत) जोकि बिना शर्त के प्रदान की जाती है और दूसरी अनुदान राशि (60 प्रतिशत) वह है जोकि 15वें वित्तायोग द्वारा सुझाई गई कुछ शर्तों को पूरा करने के उपरान्त जारी की जाती है।
- स्वच्छ, भारत अभियान (शहरी) 2.0 का मुख्य उद्देश्य शहरों/कस्बों को खुले में शौच मुक्त व नागरिकों को स्वस्थ और रहने योग्य वातावरण प्रदान करना है। अभी तक इस अभियान के अन्तर्गत 6,715 व्यक्तिगत शौचालय बनाए जा चुके हैं, जिनके पास शौचालय सुविधा नहीं थी। 391 सामुदायिक और 1,273 सार्वजनिक शौचालय शीटें नई व पुनर्निर्मित की जा चुकी है।
- शहरी स्थानीय निकायों में पार्किंग की समस्या के समाधान हेतु इस वित्तीय वर्ष 2023-24 में ₹5.00 करोड़ का बजट प्रावधान है।
- सरकार ने शहरी स्थानीय निकायों को प्रोत्साहित करने के लिए एक योजना शुरु की है जिसमें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले शीर्ष पर रहने वाले एक नगर निगम, तीन नगर परिषदों और तीन नगर पंचायतों को पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है।
- मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना (एम.एम.एस.ए.जी.वाई.) के अन्तर्गत कुल 6,31,506 श्रम दिवसों के साथ 16,827 लोग लाभान्वित हुए हैं और अब तक ₹14.26 करोड़ की राशि वितरित की जा चुकी है।हिमाचल प्रदेश नगर एवं ग्राम योजना अधिनियम, 1977 को 57 योजना क्षेत्रों (राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 1.60 प्रतिशत) और 36 विशेष क्षेत्रों (राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 2.06 प्रतिशत) में लागू किया गया है।
- रियल इस्टेट विनियामक प्राधिकरण हिमाचल प्रदेश का मुख्य उद्देश्य रियल एस्टेट क्षेत्र को विनियमित और बढ़ावा देने के साथ हिमाचल प्रदेश में भूखण्डों, अपार्टमेंटस या भवनों की बिक्री एक कुशल तरीके से हो और उपभोक्ता/घर खरीदारों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करना है। इस प्राधिकरण ने 31 दिसम्बर, 2023 तक 178 रियल एस्टेट परियोजनाओं तथा 111 रियल एस्टेट एजेंटों को पंजीकृत किया है। प्राधिकरण के पास अब तक लगभग 65 शिकायतें दर्ज की गई हैं जिनमें से 23 का निपटारा कर दिया गया है तथा शेष 42 में सुनवाई प्रक्रियाधीन है।
- सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, हिमाचल प्रदेश का नाम बदलकर डिजिटल प्रौद्योगिकी और शासन विभाग कर दिया है।
- कुल मिलाकर, एम.एम.एस.एस. हेल्पलाइन @1100 के लॉन्च के बाद से 21 दिसंबर 2023 तक इस हेल्पलाइन के माध्यम से कुल 6,15,086 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 6,03,796 (98 प्रतिशत) शिकायतों का निपटारा किया गया है, जिसमें 4,33,109 (70 प्रतिशत) शिकायतें शामिल हैं, जिनका समाधान संबंधित नागरिकों की संतुष्टि के अनुसार किया गया।
- वर्तमान में, निम्नलिखित कार्यालय हिमाचल प्रदेश सचिवालय 99 शाखाएँ, निदेशालय 87, उपायुक्त कार्यालय 12, पुलिस अधीक्षक कार्यालय 13, अन्य क्षेत्रीय कार्यालय 172 शाखाएँ, ई-ऑफिस पर हैं।
- वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान विभाग ने ऑनलाइन डिलीवरी के लिए हिमाचल ऑनलाइन सेवा पोर्टल में 104 सेवाएं जोड़ी हैं। अब विभिन्न विभागों की 217 सेवाएँ ऑनलाइन इस पोर्टल के माध्यम से दी जा रही है।
- 31 अक्तूबर, 2023 तक राज्य में 74,68,000 निवासी (अनुमानित जनसंख्या 2023) हैं। राज्य में कुल 104.29 प्रतिशत (लाइव) विशिष्ट पहचान संख्या (यू. आई.डी.) बना दिये गए हैं।
- वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान नवम्बर, 2023 तक 48 योजनाओं के तहत 30.25 लाख लाभार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डी.बी.टी.) के माध्यम से ₹1,157.10 करोड़ की राशि हस्तांतरित की गई है।
- हिमस्वान की स्थापना फरवरी, 2008 में की गई थी और वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, राज्य भर में कुल 2,526 सरकारी कार्यालय इस नेटवर्क के माध्यम से जुड़े हुए हैं।भारत नेट चरण-1 में, अब तक राज्य की केवल 409 ग्राम पंचायतों (ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओ.एफ.सी.) के माध्यम से 252 ग्राम पंचायतों और वेरी-स्मॉल-एपर्चर टर्मिनल (वी.एस.ए.टी.) सैटेलाइट आधारित कनेक्टिविटी का उपयोग करके 157 रिमोट ग्राम पंचायतों) को कवर किया गया है भारत नेट के दूसरे चरण में नेटवर्क निर्माण के लिए शेष 3,206 ग्राम पंचायतों, उन्नयन के लिए 252 मौजूदा ग्राम पंचायतों और अंतिम मील कनेक्टिविटी के लिए 15,538 गांवों को कवर किया जाएगा।
- राजस्व न्यायालय प्रबंधन प्रणाली पर कुल 76,122 मामले ऑनलाइन पंजीकृत हैं, जिनमें से 24,606 मामलों का निपटारा किया जा चुका है।
- कुल 80 विभागों को श्शामिल किया गया हैं और 45,137 मामले मुकदमेबाजी निगरानी प्रणाली (एल.एम.एस.) एप्लिकेशन पर ऑनलाइन पंजीकृत हैं।